Sachi Baate / सच्ची बातें ...
सच्ची बातें ...
तेरा धर्म क्या तेरी ज़ात क्या।
तू कहाँ से है तेरी औकात क्या।
तू हिन्दू है या मुसलमा।
तू है पंडित या चमार क्या।
ये भेद हमने बना रखे क्या ऊँच नीच सब लिखा रखे
उस खुदा के बनाये हम एक थे अब बन गया ये इंसान क्या।
यहाँ चारो तरफ एक शोर है कोई है ठीक कोई चोर है
कोई मतलब से साथ निभता है कोई अपना बन ढग जाता है
मतलब की बन गई दुनिया ये। तेरा है सगा या रिश्तेदार क्या।
सब हैं सुखी छोड औरत को यहाँ | औरत को न मिलता सुख यहाँ।
कोई जिस्म का, कोई दहेज़ का, कोई हवस का, हुई शिकार यहाँ।
क्या पति यहाँ क्या पिता यहाँ, क्या बच्चे यहाँ, क्या बड़े यहाँ,
वो सहती सब के ताने हर रोज सब करते है उसका तिरस्कार यहाँ।
हम भूल गये वो जग जननी है
हम भूल गये वो देवी है
हम भूल गये सायद दुर्गा को क्या।
पैसा है माईबाप यहाँ सब पैसे को माथा टेकते।
यहाँ इश्क़ भी कुछ ऐसा है जिसमे जिस्म माथे टेकते।
कोई रूहानी इश्क़ को जाने न सब हवस को माथे टेकते।
तेरा लूटता है तो मुझको क्या
तू हुआ कंगाल तो मुझको क्या
मेरा तो सब ठीक मुझे किसी और से लेना है क्या।
तू कहाँ से है तेरी औकात क्या।
तू हिन्दू है या मुसलमा।
तू है पंडित या चमार क्या।
ये भेद हमने बना रखे क्या ऊँच नीच सब लिखा रखे
उस खुदा के बनाये हम एक थे अब बन गया ये इंसान क्या।
यहाँ चारो तरफ एक शोर है कोई है ठीक कोई चोर है
कोई मतलब से साथ निभता है कोई अपना बन ढग जाता है
मतलब की बन गई दुनिया ये। तेरा है सगा या रिश्तेदार क्या।
सब हैं सुखी छोड औरत को यहाँ | औरत को न मिलता सुख यहाँ।
कोई जिस्म का, कोई दहेज़ का, कोई हवस का, हुई शिकार यहाँ।
क्या पति यहाँ क्या पिता यहाँ, क्या बच्चे यहाँ, क्या बड़े यहाँ,
वो सहती सब के ताने हर रोज सब करते है उसका तिरस्कार यहाँ।
हम भूल गये वो जग जननी है
हम भूल गये वो देवी है
हम भूल गये सायद दुर्गा को क्या।
पैसा है माईबाप यहाँ सब पैसे को माथा टेकते।
यहाँ इश्क़ भी कुछ ऐसा है जिसमे जिस्म माथे टेकते।
कोई रूहानी इश्क़ को जाने न सब हवस को माथे टेकते।
तेरा लूटता है तो मुझको क्या
तू हुआ कंगाल तो मुझको क्या
मेरा तो सब ठीक मुझे किसी और से लेना है क्या।
- Keshav Sharma
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Copyright Disclaimer Under Section 107 of the Copyright Act 1976, allowance is made for "fair use" for purposes such as criticism, comment, news reporting, teaching, scholarship, and research. Fair use is a use permitted by copyright statute that might otherwise be infringing. Non-profit, educational or personal use tips the balance in favor of fair use
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