मर गयी इंसानियत / Mar Gayi Insaniyat...
Pen name - Sidhi .
Insta ID - @_q.u.e.e.n__d.o.m.i.n.i.q.u.e_
Poetry _ मर गयी इंसानियत।
From - Odisha
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Poetry _ मर गयी इंसानियत।
From - Odisha
मर गयी इंसानियत...
महिलाओं का सड़कों पर चलना मुहाल हो रहा।
आदम वहशी दरिदों ये भरा बाज़ार हो रहा।
जानवर तक लज्जाए ऐसा करम कर रहा।
खुले सडक दुष्कर्म कर किंचित ना शरम रहा।
लोग बाग देख नज़रें चुराए, मुँह छुपाएं।
हाए री किस्मत मदद को कोई न आगे आए।
चीखती चिल्लाती वह हो गई निढाल।
पर उस वहशी को ना था कोई मलाल।
उस दिन भरी दोपहरी में लज्जा हरी थी।
हाय री इंसानियत घुट - घुट के मारी थी।
आदम वहशी दरिदों ये भरा बाज़ार हो रहा।
जानवर तक लज्जाए ऐसा करम कर रहा।
खुले सडक दुष्कर्म कर किंचित ना शरम रहा।
लोग बाग देख नज़रें चुराए, मुँह छुपाएं।
हाए री किस्मत मदद को कोई न आगे आए।
चीखती चिल्लाती वह हो गई निढाल।
पर उस वहशी को ना था कोई मलाल।
उस दिन भरी दोपहरी में लज्जा हरी थी।
हाय री इंसानियत घुट - घुट के मारी थी।
- Sidhi
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Copyright Disclaimer Under Section 107 of the Copyright Act 1976, allowance is made for "fair use" for purposes such as criticism, comment, news reporting, teaching, scholarship, and research. Fair use is a use permitted by copyright statute that might otherwise be infringing. Non-profit, educational or personal use tips the balance in favor of fair use
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